Discover the Path to Freedom
Break Free from Addiction with Expert Guidance
Unlock the secrets to a healthier life with Narendra Chitte’s enlightening book on deaddiction. Available in Hindi, Marathi, and English, this guide will empower you to break free and embrace a brighter future.
Unshackling the Chains of Addiction
A Simple Program to Quit Gutkha, Tobacco & Smoking
This insightful book by Narendra Chitte delves into the heart of addiction, offering practical advice and compassionate support for those seeking to overcome their dependencies. Through powerful narratives and expert insights, readers are guided towards a life of freedom and fulfillment. Available in three languages, this book is a beacon of hope for individuals and families affected by addiction.
Breaking free from tobacco, gutkha, or smoking is not just about giving up an addiction—it is about reclaiming life, health, and peace of mind. This book offers a compassionate yet practical approach to overcoming addiction, guiding readers step by step toward freedom and balance.
At its core, the book explains how our restless “monkey mind” keeps us trapped in cycles of craving and struggle. By learning to understand and calm this mind, we can prevent relapse and build lasting change. Through simple practices like mindful breathing, self-awareness, and daily discipline, the path to recovery becomes easier and more natural.
This is more than a guide to de-addiction—it is a roadmap to a happier and healthier life. Each page encourages you to rediscover your inner strength, embrace self-love, and create the foundation for a future free of dependence. Whether you are beginning your journey or searching for lasting solutions, this book will support and inspire you at every step.
Narendra Chitte
The first experience of intoxication is always a mirage, never the truth.
Book Also Available in Marathi & Hindi
Discover the Transformative Power of the Deaddiction Book in Marathi or Hindi
Shattering the Bonds of Addiction
गुटखा, तंबाखू , धुम्रपान सोडण्याचा सोप्पा कार्यक्रम
डॉ. नरेंद्र चित्ते यांचे हे पुस्तक केवळ व्यसनमुक्तीबद्दलचे मार्गदर्शन नाही, तर नव्या जीवनाची नवी वाट दाखवणारं एक दीपस्तंभ आहे. लेखकाने 30+ वर्षांच्या प्रदीर्घ अनुभवातून हे जाणलं आहे की व्यसन म्हणजे फक्त शरीराचं नुकसान नव्हे, तर ते मन, आत्मा, कुटुंब, समाज आणि भविष्य यांनाही जखडून टाकतं. धूम्रपान, तंबाखू, गुटखा, दारू किंवा इतर कोणतंही व्यसन सुरुवातीला साधं, निरुपद्रवी वाटू शकतं; पण हळूहळू ते माणसाचं स्वातंत्र्य आणि जीवनाची गुणवत्ता पूर्णपणे हिसकावून घेतं.
या पुस्तकाची खरी ताकद अशी आहे की यात व्यसनाला केवळ शारीरिक सवय म्हणून न पाहता, ते एक मानसिक गुलामी आणि भावनिक जाळं आहे असं मांडलं आहे. डॉ. चित्ते सांगतात की जोवर व्यसनामागचं खोटं आकर्षण, मनाचे भ्रम आणि मानसिक गुलामी समजून घेतली जात नाही, तोवर कोणतीही व्यक्ती कायमची व्यसनमुक्त होऊ शकत नाही.
लेखक स्पष्ट करतात की लोक परत परत व्यसन सोडण्याचा प्रयत्न करतात आणि परत अपयशी होतात याचं कारण सिगारेट किंवा दारू नसून, मनाचा धोका आहे. मन सतत सांगत राहतं की धूम्रपानाने ताण कमी होतो, गुटख्याने ऊर्जा मिळते, दारूमुळे आनंद मिळतो. पण खरी गोष्ट याच्या उलट असते. हाच भ्रम परत परत व्यक्तीला व्यसनाच्या गर्तेत ढकलतो.
या पुस्तकात हेही ठाम सांगितलं आहे की व्यसन सोडताना अभावाची लक्षणं जाणवायलाच हवीत हा एक मोठा गैरसमज आहे. खरं तर अभाव तेव्हाच जाणवतो जेव्हा मनाला खरोखरच हवी असलेली गोष्ट मिळत नाही. पण जर मनानं ठाम निर्णय घेतला की व्यसन आता नकोच आहे—ते विषारी आहे, धोकादायक आहे—तर अभाव उरतच नाही. शरीर तर निसर्गदत्त अशी क्षमता असलेलं आहे की व्यसन थांबवल्यानंतर फारतर एका आठवड्यात पूर्ण शुद्ध होऊन आधीपेक्षा अधिक निरोगी होतं.
डॉ. चित्ते यांनी योग, आयुर्वेद, निसर्गोपचार, हर्बल उपाय आणि मानसिक प्रशिक्षण यांचा संगम करून एक सोपं, सहज आणि प्रभावी तंत्र विकसित केलं आहे. यात शारीरिक तल्लफ कमी करण्यासाठी औषधी वनस्पतींची मदत, आणि मानसिक तल्लफ दूर करण्यासाठी योग्य ज्ञान व प्रशिक्षण दिलं जातं. त्यामुळे व्यसनमुक्तीची प्रक्रिया कठीण न राहता आनंददायी, हलकीफुलकी आणि आत्मविश्वास वाढवणारी बनते.
हे पुस्तक वाचल्यानंतर वाचकाला उमजतं की व्यसनमुक्त होणं म्हणजे केवळ सिगारेट किंवा दारू सोडणं नाही, तर स्वतःच्या मनाची गुलामी संपवणं आहे. यामुळे शरीर-मन अधिक निरोगी होतं, आत्मविश्वास वाढतो, आणि आयुष्याला नवा उत्साह मिळतो.
एकंदरीत, “गुटखा, तंबाखू , धुम्रपान सोडण्याचा सोप्पा कार्यक्रम “ केवळ व्यसनमुक्तीची नाही, तर आनंदी, उत्साही आणि संतुलित जीवनाची दिशा दाखवणारी पुस्तक आहे. यातून वाचकाला समजतं की खरी ताकद आपल्या मनातच दडलेली आहे, फक्त तिला योग्य मार्गावर आणण्याची गरज आहे.
Narendra Chitte
To conquer addiction, you don’t need willpower—you need understanding.
Book Also Available in English & Marathi & Hindi
Unleash the Life-Changing Potential for you: Deaddiction Book in Marathi or English or Hindi
Rising Above Addiction
A Simple Program to Quit Gutkha, Tobacco & Smoking
डॉ. नरेंद्र चित्ते द्वारा लिखित यह पुस्तक केवल एक साधारण व्यसनमुक्ति गाइड नहीं है, बल्कि जीवन को नए दृष्टिकोण से जीने का आमंत्रण है। लेखक ने अपने 30+ वर्षों के अनुभव से यह गहराई से समझा है कि व्यसन केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि मन, आत्मा, परिवार, समाज और भविष्य को भी धीरे-धीरे जकड़ लेता है। धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा, शराब या किसी भी प्रकार का नशा शुरू में साधारण लग सकता है, लेकिन यह मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व और जीवन की गुणवत्ता को पूरी तरह निगल जाता है।
इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें व्यसन को केवल शारीरिक आदत या लत के रूप में नहीं देखा गया है, बल्कि इसे एक मानसिक और भावनात्मक जाल के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक का मानना है कि जब तक व्यसन के पीछे छिपे मानसिक भ्रम और मन की गुलामी को समझा नहीं जाएगा, तब तक केवल इच्छाशक्ति या दवाओं के सहारे कोई भी व्यक्ति स्थायी रूप से व्यसनमुक्त नहीं हो सकता।
पुस्तक में यह विस्तार से समझाया गया है कि क्यों लोग बार-बार व्यसन छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन असफल हो जाते हैं। असल में समस्या सिगरेट, गुटखा या शराब नहीं है; असली समस्या है — मन का धोखा। मन यह मान बैठता है कि इन पदार्थों से तनाव कम होता है, मन हल्का होता है, उत्साह मिलता है। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है। यही झूठी धारणा बार-बार व्यक्ति को उसी जाल में वापस खींच लेती है।
डॉ. चित्ते इस भ्रांति को तोड़ते हुए एक नये दृष्टिकोण की ओर ले जाते हैं। वे बताते हैं कि व्यसन छोड़ने पर किसी प्रकार की “अभाव की लक्षण” (Withdrawal Symptoms) आवश्यक नहीं हैं। असली अभाव तब महसूस होता है जब हमें किसी सचमुच आवश्यक और प्रिय वस्तु से वंचित कर दिया जाता है। लेकिन जब मन ही यह निर्णय कर ले कि व्यसन अब नापसंद है, अनावश्यक है, जहरीला है—तब उसका कोई भी अभाव नहीं रहता। इस स्थिति में शरीर बहुत कम समय में, अधिकतम एक सप्ताह के भीतर, शुद्ध होकर पहले से अधिक स्वस्थ बन जाता है।
इस पुस्तक में अनेक उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया गया है कि व्यसन केवल आदत नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक गुलामी और भ्रम है। लेखक ने योग, आयुर्वेद, निसर्गोपचार और अपने वर्षों के शोध को आधार बनाकर एक व्यावहारिक, सरल और असरदार पद्धति प्रस्तुत की है। इस पद्धति में शरीर की तल्लफ (Craving) को नियंत्रित करने के लिए हर्बल सहयोग, और मन की तल्लफ को मिटाने के लिए जागरूकता और मानसिक प्रशिक्षण—दोनों का संगम है।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पाठक को यह गहरी समझ होती है कि व्यसनमुक्ति कोई कठिन साधना नहीं, बल्कि एक आनंदमय और मुक्तिदायी अनुभव है। यह केवल सिगरेट या शराब छोड़ने की बात नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और स्वतंत्रता का अनुभव कराने वाली यात्रा है।
संक्षेप में, एक ऐसी पुस्तक है जो आपको सिर्फ व्यसन से मुक्त नहीं करती, बल्कि आपको एक नए, उज्ज्वल और संतुलित जीवन की ओर ले जाती है। यह पुस्तक आपके भीतर छिपी हुई मानसिक शक्ति और स्वतंत्रता को जागृत करती है और आपको जीवन की असली खुशी से परिचित कराती है।

